क्या सीएमएस इंफोसिस्टम्स आईपीओ में निवेश करना चाहिए: Should You Invest in CMS Infosystems IPO?
कैश मैनेजमेंट कंपनी सीएमएस इंफो सिस्टम्स का 1,100 करोड़ रुपये काआरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) आज शुरू हो गया। यह इश्यू पूरी तरह से प्रमोटर सायन इन्वेस्टमेंट होल्डिंग्स की ओर से ऑफर-फॉर-सेल (ओएफएस) के लिए है जिनकी कंपनी में 100 फीसदी की हिस्सेदारी है।
सीएमएस इंफो सिस्टम्स अपने शेयर 205-216 रुपये का प्राइस बैंड है और निवेशक कम से कम 69 शेयरों के लिए और उसके बाद 69 के गुणकों में बोली लगा सकते हैं। इसे ब्रोकरेज से मिली-जुली समीक्षा मिली है। कई ब्रोकरेज नकारात्मक पहलूओं में हाई वैल्यूएशन,कुछ प्रमुख ग्राहकों पर अत्यधिक निर्भरता, ओमीक्रॉन के बढ़ते मामले, बैंकिंग क्षेत्र पर निर्भरता को रेखांकित किया गया है।
मारवाड़ी शेयर्स एंड फाइनेंस ने कहा कि इश्यू के बाद के आधार पर वित्त वर्ष 2011 के समायोजित ईपीएस 11.09 को देखते हुए, कंपनी 3,196.8 करोड़ रुपये के मार्केट कैप के साथ 19.48 के पी/ई पर सूचीबद्ध होगी। इसकी समकक्ष एसआईएस लिमिटेड 19.70 के पी/ई पर कारोबार कर रही थी।
सीएमएस इंफो सिस्टम्स ने अपने आईपीओ से पहले 12 एंकर निवेशकों से 330 करोड़ रुपये जुटाए हैं। बीएसई सर्कुलर में कहा गया है कि कंपनी ने 216 रुपये प्रति इक्विटी शेयर पर 1,52,77,777 इक्विटी शेयर आवंटित किए हैं।
एंकर बुक में बड़े निवेशकों में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, नोमुरा इंडिया, एसबीआई म्यूचुअल फंड, आदित्य बिड़ला सन लाइफ, डब्ल्यूएफ एशियन रिकोनिसेंस फंड, गोल्डमैन सैक्स, एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस, अबक्कस इमर्जिंग अपॉर्चुनिटीज फंड, थेलेमी इंडिया मास्टर फंड और बीएनपी पारिबा आर्बिट्रेज शामिल हैं।
216 रुपये के उच्च मूल्य बैंड पर, सीएमएस 1970 के पी / ई गुणक की मांग कर रहा है, जो कि इसके एकमात्र सूचीबद्ध सहकर्मी के गुणक के अनुरूप है। घरेलू अर्थव्यवस्था में नकदी की निरंतर महत्वपूर्ण भूमिका और कैश मैनेजमंट में कंपनी का पोर्टफोलियों क्षेत्र में इसकी प्रमुख बाजार स्थिति मुख्य आकर्षण हैं।
देश के बड़े बैंक इसके ग्राहक हैं और उन्हीं से इसका अधिकांश राजस्व प्राप्त होता है। यही इसकी सबसे बड़ी कमजोरी है। महज चंद बैंकों से ही इसका 44 प्रतिशत राजस्व प्राप्त होता है। अगर हम भारत में तीसरी कोविड लहर पर विचार करते हैं तो निश्चित तौर पर ऐसा लगता है कि देखते हैं, तो कंपनी का व्यवसाय प्रभावित होगा।
लेकिन यह भी ध्यान देने वाली बात है कि कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन स्थिर है और मार्जिन बढ़ रहा है।
सकारात्मक तथ्य यह है कि यह संपूर्ण भारत में फैली हुई देश की सबसे बड़ी नकद प्रबंधन कंपनी है। दूसरी बात यह है कि सरकार डिजिटल भुगतान पर ध्यान केंद्रित कर रही है, इससे दीर्धावधि में इसके व्यवसाय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। रेलिगेयर ब्रोकिंग ने कहा कि सर्विस किए गए एटीएम की कुल संख्या के आधार पर कंपनी 24.7 फीसदी की बाजार हिस्सेदारी और आउटसोर्स एटीएम की कुल संख्या के आधार पर 41.1 फीसदी बाजार हिस्सेदारी के साथ अच्छी स्थिति में है। कंपनी का ध्यान अर्ध-शहरी और ग्रामीण बाजारों में अपने नेटवर्क का विस्तार करने और नए ग्राहकों को जोड़कर ग्राहक आधार बढ़ाने पर है।